पं.लड्डू गुरु

उच्चाटन पूजा

किसी भी कार्य की संपन्ता उसमें लगे मन की एकाग्रता और कार्य के प्रति समर्पण पर निर्भर है यह कहे की दिल लगाकर किया गया कार्य ही फलदाई साबित होता है अन्यथा इसमें आने वाली हर्ष ने सफलता में बाधक बनी रहती है कहीं बाहर कार्य के प्रति मन में भटकाव अर्थात उच्च चार्ट जैसी स्थिति बन जाती है इसकी कहीं वजहें हो सकती है कुछ अपने आचरण विवाद मनमुटाव किसी की नापसंदगी तो कुछ दुश्मनों के विरा दी तेवर से हो सकते हैं इन्हें उच्चाटन के तांत्रिक उपायों से दूर किया जा सकता है
यह तांत्रिक षट्कर्म प्रयोग से संभव हो पाता है इसके द्वारा किसी भी व्यक्ति के मन में कार्य के प्रति विरोधी भावना रखने वाले के गुणस्थान आदि के प्रति अरुचि पैदा कर दी जाती है जिससे शत्रु से विकर्षण और कार्य के प्रति आकर्षण बन जाता है उच्चाटन का यह प्रयोग उनके लिए बहुत ही उपयोगी साबित होता है जो किसी के वशीभूत हो चुके हैं होते हैं अपने कार्मपथ से भटक जाते हैं गलत संगत में पड़ जाते हैं बुरी आदतों के शिकार हो जाते हैं या फिर किसी के वर्कावे मैं आकर संस्कार वह सम्मान भूल जाते हैं साथ ही पति पत्नी के बीच किसी तीसरे के आ जाने से आपसी संबंध बिगड़ने पारिवारिक मान मर्यादा कलंकित होने प्रतिष्ठा पर आज आने रुपैया पैसा या धन संपति के अपव्यय या अनावश्यक खर्च होने जैसी समस्याओं को भी इससे दूर किया जा सकता है।

जन्म कुंडली के अनुसार ग्रहों के प्रतिकूल से घरेलू पारिवारिक कामकाजी आर्थिक मामलों को लेकर चली आ रही मानसिक अशांति को उच्चाटन प्रयोग से खत्म किया जाता है पर स्त्री या पर पुरुष गमन मैं लिफ्ट व्यक्ति को सही रास्ते पर लाने का यह प्रयोग अद्भुत और अचूक असर देता है इसके द्वारा दरिद्रता दूर करने के साथ साथ किसी द्वारा धन संपदा पर कब्जा करने वालों से छुटकारा दिलवाया जा सकता है तो दरिद्रता और अशांति को भी दूर किया जा सकता है इसी तरह परिवार वह समाज के रीति-रिवाजों के विरुद्ध जाकर बेमेल अनैतिक या अनुचित प्रेमपाश मैं फसी किसी विवाहित या कुंवारी स्त्री को उच्चाटन प्रयोग से ही सही मार्ग पर लाया या उसे बचाया जा सकता है इसी प्रयोग के बाद उस स्त्री के मन में वैसे प्रेम से हमेशा के लिए विरक्ति हो जाएगी।

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